स्वर्गिक यात्रा
व्यक्ति सांसारिक मोह-माया में पूर्णतः जकङा होता है, वह उससे मुक्त होना चाह कर भी, नहीं हो पाता है।
एक सच्चा साधू-संत भी इस मोह-माया में कहीं न कहीं फंसा रह जाता है।
संत कबीर ने भी कहा है,
“जहाँ लगि सब संसार है, मिरग सबन की मोह
सुर, नर, नाग, पताल अरु, ऋषि मुनिवर सब जोह।”
माँ तो एक सामान्य गृहणी थी, जिनका जीवन सांसारिक धर्म सच्चे मन से निभाने में बीता था।
‘कर्म ही भगवान् की पूजा है’ यह उनकी ईश्वरीय साध थी पर साथ ही पूजा-अर्चना को अपना पूरा समय देना भी उनका अपना व्यक्तिगत संकल्प था।जिसमें उन्होंने कभी चूक नहीं होने दी थी।
और अब अंत समय सामने था, वह ईश्वर में लीन होना चाहती थीं, अपने प्रभु की ऊंगली पकङ वह उस पार जाना चाहती थी। लेकिन वह जानती थी कि जब तक सांसारिक मोह-माया से बंधी हूँ, प्रभु उंगली नहीं थामेंगे।
यह आसान नहीं था, पर वह जानती थी नामुमकिन भी नहीं है।
कबीर कहते हैं –
” मोह नदी बिकराल हे, कोई न उतरे पार
सतगुरु केबट साथ लेई, हंस होय जम न्यार।”
‘मोह और ईश्वर ‘
छोङना होगा, अब सब कुछ,
हर मोह, माया और सारी चिन्ताएँ।
जाने का समय आएगा………….
आया है……. आ रहा है………..।
मुक्त होना होगा सब बंधनों से,
अब नहीं देखना किसी ओर-
ईश्वर ! सिर्फ तुम्हें देखूँ-
तुम्हें देखते-देखते मुक्त हो जाऊँ,
प्रार्थना है मेरी-
अब कोई पूजा नहीं, पाठ नहीं,
प्रार्थना ही है सब,
तुम बैठे हो मेरे मन में ,
तुम बैठे, मेरे सामने-
अब कोई कांड नहीं ,
सिर्फ तुममें लीन होना है,
तुममें ही समाना है।
छोङना होगा सब कुछ-
बिना किसी कष्ट के-
तभी तो दोगे तुम मुक्ति
यह कैसा कोलाहल?
हर तरफ शोर…….,
मुझे नहीं देना ध्यान कहीं ओर-
सिर्फ और सिर्फ तुममें ध्यान लगाना है-
क्योंकि, अब मुझे तुम्हें पाना है!
आया है वक्त, आ गया है वक्त,
तुममें ही समाना है-
क्यों कभी-कभी मन भटकता है?
क्यों कोई मोह सिर उठाता है,
नहीं ! नहीं ! मुझे सब छोङना होगा,
किसी भी बाधाओं पर ध्यान नहीं देना होगा-
अब तो नाव आई है किनारे-
मुझे साथ लिवाने, उस पार जाने को,
बस कुछ समय और-
मोह रूपी रस्सी के खुलते ही-
नाव चल पङेगी उस पार।
मुझे नहीं देखना, पलट कर उन मोह बंधनों को,
जिनमें बंधी थी मैं,
अब तो आया है, समय-
ईश्वर को पाने का,
उसमें चूक नहीं होने देनी है-
अब छोङना ही होगा सब कुछ।
मुझे प्रभु में लीन होना है।
क्रमशः
मर्म स्पर्शी..सत्य है ईश्वर के ही अंश है,ईश्वर में ही समाना है।
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धन्यवाद । अच्छी व्याख्या की है ।
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जीवन यात्रा का ये ही हैं सच । मोह और त्याग। अति सुन्दर
विवरण ।
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Thankyou 👌
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