THE BLIND MAN

D.H. LAWRENCE

नेत्रहीन व्यक्ति ( सूरदास )(भाग -6)

पर्विन कहाँ है? घर पर नहीं है?”
” नहीं , घर पर ही हैं, ऊपर अपने कमरे में हैं ।”
” पर्विन, कैसा है?”
” बहुत सही।”
” तुम दोनों आपस में कैसे? वह अभी भी कुढ़ता रहता है क्या?
” नहीं , बिलकुल नहीं । बल्कि हम बहुत आनंद का जीवन जी रहे हैं हमारा प्यार और नजदीकियां और बढ़ी है। “
“यह तो बहुत खुशी की बात है।

वे दोनों दूर चले गए और पर्विन को अब कुछ सुनाई नहीं दे रहा था।
लेकिन माॅरिस में एक बचकाना अलगाव का भाव उभरने लगा था।उसे उनकी बहुत हल्की फुसफुसाहट ही सुनाई दे रही थी। वह जैसे अपने को अकेला महसूस करने लगा था।

इसाबेल ने जिस तरह उनके आपसी प्रेम और नजदीकियों की व्याख्या की थी, उसने उसमें झल्लाहट पैदा कर दी थी , उसे बैरटी का स्काॅटिश उच्चारण पसंद नहीं था जो थोङा बहुत इसाबेल के उच्चारण में भी दिखता था। विशेषकर इस उच्चारण में कुछ प्रसन्नता मिश्रित गुनगुनाहट है, उससे उसको नफरत है। वह जानता है, यह नफरत एक बचपना है।

कपड़े पहनते हुए वह अपने को परेशान महसूस कर रहा था। उसके सामने उसका संपूर्ण जीवन-वृत घूम गया। अपनी ताकत, कमजोरियाँ भी, सबसे अधिक अब जो दूसरों पर निर्भरता हो गई है, उसने उसको मन से कमजोर कर दिया है।

उसको बैरटी रैड से नफरत थी पर वह जानता है यह उसकी बेवकूफी थी। यह उसके स्वभाव की कमी को ही दर्शाता है।

मॉरिस नीचे उतर कर आया, इसाबेल खाने की मेज के पास खङी थी, उसने माॅरिस को आते हुए देखा, वह उसे स्वस्थ और मजबूत दिखा, साथ ही उसमें एक नकारात्मकता भी दिखी, शायद उसके मन में ही नकारात्मकता का ख्याल उसकी चोटों के निशानों के कारण आया हो।
” क्या तुम्हें पता लगा कि बैरटी आ गया है?” इसाबेल ने पूछा
” हाँ, क्या वह अभी यहां नहीं है?”
” वह अपने कमरे में है। वह बहुत कमजोर और थका हुआ लग रहा था।
” मुझे लगता है कि काम के अत्याधिक बोझ के कारण वह ऐसा हो गया हो।”
एक नौकरानी ट्रे में लेकर कुछ आई, और थोड़ी ही देर में बैरटी भी आ गया ।

बैरटी छोटे कद का काला आदमी था।उसका माथा बहुत बङा पर पतला था। आँखें बङी और उदास दिखती थी। उसके चेहरे पर एक उदासीनता का भाव था, जो व्यंगात्मक भी था। उसकी टाँगें असाधारण रूप से छोटी थी।


इसाबेल ने झिझकते हुए नीची निगाह से उसे देखा और घबराते हुए एक निगाह अपने पति पर डाली ।
आहट से माॅरिस भी मुङा।
” आ गए तुम? चलो कुछ खाते हैं ।” इसाबेल ने कहा।


बैरटी माॅरिस की तरफ बढ़ गया।
” कैसे हो पर्विन?” बैरटी ने माॅरिस के पास पहुंच कर कहा।
मॉरिस ने अपना हाथ बढ़ाया और बैरटी ने तुरंत उसका हाथ अपने हाथ में लिया।
” ठीक हुँ, तुम आए, बहुत अच्छा लग रहा है।”


इसाबेल ने उन्हें देखा, फिर निगाह उन दोनों पर से हटा दी, जैसे वह उन दोनों को एक साथ देख कर, बैचेन हो गई हो।
” यहां मेज पर आ जाओ, तुम दोनों को भूख नहीं लग रही क्या! मुझे तो बहुत तेज लगी है।” इसाबेल बोली

“मालूम होता है मेरे कारण आप दोनों को खाने मेें बहुत प्रतीक्षा करनी पङी है।” सबके बैठने के बाद बैरटी बोला।

माॅरिस का कुर्सी पर बैठने का एक अपना तरीका है। वह थोङा हटकर और सीधा बैठता है। इसाबेल जब भी उसे ऐसे बैठा देखती है, तो उसके दिल की धड़कन तेज हो जाती है।


इसाबेल ने बैरटी को जवाब दिया, ” नहीं, ऐसी बात नहीं है, हम थोङा देर से ही भोजन करते हैं। अभी भी चाय के साथ नाशता कर रहे हैं, डिनर नहीं । थोङी- थोङी देर में कुछ स्नैक्स लेते रहेंगे । मुझे लगा इससे शाम का समय अच्छा बीतेगा।
तुम्हारे लिए भी यह ठीक रहेगा न!”
” हाँ, मेरे लिए भी बढ़िया है।” बैरटी ने जवाब दिया ।

क्रमशः

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