THE BLIND MAN

D.H. LAWRENCE

नेत्रहीन व्यक्ति ( सूरदास )(भाग-7)

माॅरिस चुपचाप बहुत ध्यान से अपने कांटे- चम्मच संभाल रहा था। वह बहुत ध्यान से खाने की मेज पर रखी चीजों के स्थान का ब्यौरा समझ रहा था। वह सीधा और संभल कर बैठा था। बैरटी उसकी सीधी व प्रस्तर मुद्रा को देख रहा था। वह पर्विन के हाथों को ध्यान से देखते हुए , उसकी भौंहों की चोट के ऊपर छाए गहरे मौन को समझने का प्रयास कर रहा था।


फिर उसे अनदेखा करने की कोशिश करते हुए, उसने मेज पर रखे बैनफिशा फूल के कटोरे को उठाया और उसे नाक के पास ले जाते हुए बोला,” कितनी अच्छी खुशबू ! कहाँ से आए?”
” अपने ही बगीचे के हैं ।” इसाबेल ने उत्तर दिया
” इस बार देर से खिले! पर बहुत खुशबूदार हैं ।
तुम्हें याद हैं ! साउथ वाल की आंटी बैल के बैनफिशा के फूल!”


दोनों मित्रों ने एक-दूसरे को देखा। और इसाबेल की आँखें चमक उठी, बोली, “भला, मैं कैसे भूल सकती हूँ ! वह बहुत विचित्र थी न!”
” एक अजीब सनकी बुढ़िया । वह परिवार सनकपन की मिसाल था। इसाबेल !”


” पर हम सनकी नहीं हैं ” इसाबेल ने जवाब दिया और साथ ही उसने माॅरिस से पूछा,” क्या तुम फूलों को सूंघना चाहोगे?”

“बैरटी, यह बाउल माॅरिस को दो।” जब उसने बैरटी को मेज पर फूलों का बाउल रखते देखा।


माॅरिस ने हाथ बढ़ाया और बैरटी ने उसकी बङी और दिखने में गर्म उंगलियों पर उस बाउल को रखा जिसमें बैरिस्टर की पतली उंगलियां दब गई , जिन्हें उसने धीरे से निकाल लिया।


माॅरिस ने धीरे से उस बाउल को पकङा, सूंघने के लिए नाक के पास ले गया ,वह दोनों पर्विन की ओर ध्यान से देख रहे थे, ऐसा लग रहा था, जैसे वह कुछ सोच रहा है ।


इसाबेल ने बेताबी से पूछा,” खूशबू अच्छी है न?”
” हाँ, बहुत”
और उसने बाऊल आगे बढ़ाया, बैरटी ने उससे लेकर रख दिया।


भोजन शुरू हुआ। दोनों मित्र बीच-बीच में कुछ बात करते थे। पर माॅरिस चुपचाप अपने कांटो, छुरियों को संभालते हुए खाने में ध्यान लगा रहा था। ऐसा लग रहा था कि वह इस बात के लिए सचेत है कि उसे किसी की सहायता न लेनी पङे।

क्यों ? वे दोनों सोच रहे थे। विशेषरूप से इसाबेल को हैरानी हो रही थी कि जब वे पति-पत्नी अकेले होते हैं तब ऐसे कोई प्रयास नहीं होते, सब बहुत स्वाभाविक रूप से चलता है। इस समय बैरटी की उपस्थिति में वह स्वयं भी सचेत है।

भोजन के बाद तीनों आग के समीप कुर्सियों पर बैठ गए । इसाबेल ने आग में लकङियाँ बढ़ा दी। आग के तेज होने से चिंगारियां निकलने लगी थीं ।
बैरटी को लगा कि इसाबेल को शायद किसी बात की चिंता सता रही है।
” इसाबेल , बच्चे की बहुत खुशी हो रही होगी न तुम्हें ?” बैरटी ने पूछा


” हाँ, बहुत। एक लंबी प्रतीक्षा के बाद यह खुशी मिलने वाली है” इसाबेल ने जवाब दिया और माॅरिस से पूछा,” है न! माॅरिस , तुम भी बच्चे के आगमन पर बहुत खुश होंगे न!”
” हाँ, मुझे भी बहुत खुशी होगी ।”

बैरटी इसाबेल से चार- पांच साल बङा ही है। अभी तक अविवाहित है। वह अपने आरामदायक घर, फरमाबरदार नौकरों और कुछ मित्रों के साथ सुखी है।

वह महिलाओं का सम्मान करता हैं , उन्हें पसंद भी करता है। उसकी कुछ महिला मित्र भी हैं पर वे सब मित्र ही हैं, इससे अधिक न वह उन्हें समझता है न वे। ऐसा नहीं कि उसे किसी महिला के करीब जाने की इच्छा नहीं हुई थी, जो महिलाएं उसे पसंद आईं और उसने उनके करीब जाने का प्रयास भी किया पर जब वे उस पर अपना अधिकार रखने लगती, उसको उसे अपने अनुसार चलाना चाहती तो वह उनसे दूर भाग जाता था। उसे कई बार अपने पर शर्म भी आती कि उसने आज तक किसी महिला के सामने विवाह का प्रस्ताव भी नहीं रखा था।

इसाबेल उसकी ऐसी मित्र थी जो उसके गुणों से ही नहीं उसके अवगुणों को भी जानती थी।

क्रमशः

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